वनदेवता से पूछ लें
घर लौटते थके माँदे पैरों पर डंक मार रहे हैं बिच्छू
कुछ डस लिए गये साँपों से
पिछले दरवाजे के पास चुपके से जा छुपा लकड़बग्घा
बाजों ने अपने डैने फड़फड़ाने शुरू कर दिए हैं
कोयल के सारे अंड़े कौओं के कब्जे में
कबूतर की हत्या की साज़िश रच रही है बिल्ली
आप में से जिस-किसी सज्ज्न को
मिल जाएँ वनदेवता तो
उनसे पूछना जरूर
कैसे रह लेते हैं इनके बीच
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कुछ डस लिए गये साँपों से
पिछले दरवाजे के पास चुपके से जा छुपा लकड़बग्घा
बाजों ने अपने डैने फड़फड़ाने शुरू कर दिए हैं
कोयल के सारे अंड़े कौओं के कब्जे में
कबूतर की हत्या की साज़िश रच रही है बिल्ली
आप में से जिस-किसी सज्ज्न को
मिल जाएँ वनदेवता तो
उनसे पूछना जरूर
कैसे रह लेते हैं इनके बीच
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1 Comments:
अच्छी लगी अपकी कवितायें. सब पढूँगी एक एक करके
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Pratyaksha, at 2:47 AM
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