साहित्य-संसार

Monday, March 27, 2006

वनदेवता से पूछ लें

घर लौटते थके माँदे पैरों पर डंक मार रहे हैं बिच्छू
कुछ डस लिए गये साँपों से
पिछले दरवाजे के पास चुपके से जा छुपा लकड़बग्घा
बाजों ने अपने डैने फड़फड़ाने शुरू कर दिए हैं
कोयल के सारे अंड़े कौओं के कब्जे में
कबूतर की हत्या की साज़िश रच रही है बिल्ली
आप में से जिस-किसी सज्ज्न को
मिल जाएँ वनदेवता तो
उनसे पूछना जरूर
कैसे रह लेते हैं इनके बीच

******

1 Comments:

  • अच्छी लगी अपकी कवितायें. सब पढूँगी एक एक करके

    By Blogger Pratyaksha, at 2:47 AM  

Post a Comment

<< Home