साहित्य-संसार

Monday, March 27, 2006

अशेष

आँधी-तूफान उठा
आया
आकर चला गया
सब कुछ उखड़ने-टूटने के बाद भी
बचा रह गया
थिर होने की कोशिश में
काँपता हुआ एक पेड़
कहने को
कहने को तो
बची रह गयी
पेड़ पर एक भयभीत चिड़िया भी
कोई ग़म नहीं
शिकवा भी नहीं
गीत सारे-के सारे
बचे रह गए


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