नींद से छूटते ही चला जाऊँगा
नींद से छूटते ही चला जाऊँगा
मुस्कराहट से बेख़बर
ढेर सारी विपत्तियों
तमाम उहापोहों
समूचे बेगानेपन के
भँवरजाल से फँसे
भोर से पहले चिड़ियों की प्रभाती से कोसों दूर खड़े
उन सभी अपरिचितों के बिलकुल क़रीब
जो मुझसे भी उतने ही अपरिचित हैं
जानना चाहूँगा उतना
जिसके बाद जानने को शेष न रहे रंचमात्र मुझसे
जैसी नदी
जैसे पहाड़
जैसी छांह
जैसी आग
जैसे शब्द
जैसी भाषा
जैसी कविता
जैसे जीवन राग
नहीं बनाया जा सकता दुनिया को बेहतर
सिर्फ इन्द्रधनुषी सपने रचते-रचते
सीधे चला जाऊँगा नींद से बचते-बचाते
मुस्कराहट से बेख़बर
ढेर सारी विपत्तियों
तमाम उहापोहों
समूचे बेगानेपन के
भँवरजाल से फँसे
भोर से पहले चिड़ियों की प्रभाती से कोसों दूर खड़े
उन सभी अपरिचितों के बिलकुल क़रीब
जो मुझसे भी उतने ही अपरिचित हैं
जानना चाहूँगा उतना
जिसके बाद जानने को शेष न रहे रंचमात्र मुझसे
जैसी नदी
जैसे पहाड़
जैसी छांह
जैसी आग
जैसे शब्द
जैसी भाषा
जैसी कविता
जैसे जीवन राग
नहीं बनाया जा सकता दुनिया को बेहतर
सिर्फ इन्द्रधनुषी सपने रचते-रचते
सीधे चला जाऊँगा नींद से बचते-बचाते
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2 Comments:
Bahut hi sunder bhavnaon se bharpoor kavita..
By
Devi Nangrani, at 12:20 PM
Bahut hi sunder bhavnaon se bharpoor kavita..
By
Devi Nangrani, at 12:21 PM
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