साहित्य-संसार

Friday, March 31, 2006

शब्द ऐसा ही चाहिए

शब्द ऐसा ही चाहिए
जिसमें हों –
गाँव की भोली-भाली
छुईमुई लड़की के अंतस में
उफान मारता प्रेम
पड़ोसियों के खेत में
गर्भाती धान-बालियों की मदमाती गंध

जिसमें हों –
मिथ्यारोंपो, षडयंत्रों की गिरफ़्त में
छटपटाते सत्य की रिहाई के लिए
सबसे ठोस बयान
अंधड़ के बाद
धूल सनी आँखों से भी
क्षितिज तक
देखने की दृष्टि
शब्द ऐसा ही चाहिए

शब्द ऐसा ही चाहिए
जिसमें हों
सूखे में डूबी
जलती बस्ती के लिए
आम्ररस या पुदीने का शरबत
आदमी और आदमी के बीच
टूट चुके सेतु को
जोड़ने की उत्कट अभिरति

जिसमें हों -
अज़ान और आरती के लिए
एक ही अर्थ
और अंतिम अर्थ
अमानव के पदचाप को परख लेने की श्रवण-शक्ति
शब्द ऐसा ही चाहिए

******



1 Comments:

  • हृदयातल तक पैठ बनाने वाला है इस अभिव्यक्ति का शब्द-शब्द.
    आज, शब्द की खोती गरिमा को बचाने के लिए ऐसी रचनाओं की बहुत आवश्यकता है।
    आपको बहुत बधाई आदरणीय, इस सार्थक अभिव्यक्ति के लिए.

    By Blogger Vindu babu, at 7:29 PM  

Post a Comment

<< Home